📕वाक्य – परिभाषा, भेद और उदाहरण (हिन्दी व्याकरण)

 

📕वाक्य – परिभाषा, भेद और उदाहरण (हिन्दी व्याकरण)


1. वाक्य की परिभाषा


वाक्य वह शब्द-समूह है, जो पूर्ण अर्थ व्यक्त करता हो और जिसमें क्रिया का होना अनिवार्य है।

यह विचारों, भावनाओं या तथ्यों को सार्थक रूप में प्रस्तुत करता है।


🔹 सरल शब्दों में —

वाक्य वह शब्दों का समूह है, जो अपने आप में पूर्ण अर्थ रखता है और जिसमें कर्ता, कर्म, क्रिया आदि का समन्वय होता है।


उदाहरण:


* राम स्कूल जाता है।

* सूरज डूब गया।


2. वाक्य की विशेषताएँ


1. वाक्य में कम से कम एक क्रिया अवश्य होती है।

2. यह पूर्ण विचार व्यक्त करता है।

3. शब्दों का क्रम सुसंगठित और अर्थपूर्ण होता है।

4. यह लिखित या मौखिक रूप में हो सकता है।


3. वाक्य के भेद


हिन्दी व्याकरण में वाक्य को दो आधारों पर विभाजित किया गया है


1. रचना (संरचना) के आधार पर

2. अर्थ (उद्देश्य/भाव) के आधार पर


(A) रचना के आधार पर वाक्य के भेद


रचना के अनुसार वाक्य तीन प्रकार के होते हैं —


(i) सरल वाक्य


परिभाषा:

जिस वाक्य में एक ही कर्ता और एक ही क्रिया हो तथा एक ही पूर्ण विचार व्यक्त होता हो, वह सरल वाक्य कहलाता है।


विशेषताएँ:


* एक ही मुख्य क्रिया होती है।

* वाक्य संक्षिप्त और स्पष्ट होता है।


उदाहरण:


* सीता गाना गाती है।

* बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।


(ii) संयुक्त वाक्य


परिभाषा:

जिस वाक्य में दो या अधिक सरल वाक्य समान स्तर पर हों और वे समुच्चयबोधक अव्ययों (जैसे – और, या, लेकिन, किंतु, परंतु) से जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।


विशेषताएँ:


* प्रत्येक उपवाक्य स्वतंत्र होता है।

* समुच्चयबोधक अव्ययों का प्रयोग होता है।


उदाहरण:


* राम पढ़ता है और सीता लिखती है।

* मैं बाजार गया, लेकिन दुकानें बंद थीं।


(iii) मिश्र वाक्य


परिभाषा:

जिस वाक्य में एक मुख्य वाक्य और एक या अधिक आश्रित (गौण) उपवाक्य हों, जो संयोजक अव्ययों (जैसे – कि, जो, क्योंकि, यदि, जब) से जुड़े हों, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।


विशेषताएँ:


* मुख्य वाक्य स्वतंत्र होता है।

* गौण वाक्य मुख्य वाक्य पर निर्भर होता है।


उदाहरण:


* जब बारिश हुई, तो हम घर में रहे।

* वह किताब पढ़ रहा है, जो मैंने दी थी।


(B) अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद


अर्थ या उद्देश्य के अनुसार वाक्य आठ प्रकार के होते हैं —


क्रमांक वाक्य का प्रकार परिभाषा उदाहरण


1 विधानवाचक वाक्य जो किसी तथ्य, विचार या सूचना को प्रकट करे। सूरज पूर्व में उगता है। / भारत एक विशाल देश है।


2 निषेधवाचक वाक्य जो किसी कार्य या तथ्य के न होने को बताए। मैं स्कूल नहीं गया। / वह गाना नहीं गाता।


3 प्रश्नवाचक वाक्य जो किसी प्रश्न या जिज्ञासा को व्यक्त करे। तुम कहाँ जा रहे हो? / यह किताब किसकी है?


4 आज्ञावाचक वाक्य जो आदेश, अनुरोध, या सलाह दे। दरवाजा बंद करो। / कृपया मुझे पानी दो।


5 विस्मयादिबोधक वाक्य जो आश्चर्य, हर्ष, दुख आदि भाव व्यक्त करे। अरे! कितना सुंदर दृश्य है! / हाय! वह गिर गया।


6 संदेहवाचक वाक्य जो अनिश्चितता या संभावना व्यक्त करे। शायद वह आज आए। / क्या वह सच बोल रहा है?


7 इच्छावाचक वाक्य जो इच्छा, कामना या आशीर्वाद व्यक्त करे। भगवान तुम्हें सुखी रखे। / काश! मैं वहाँ होता।


8 संकेतवाचक वाक्य जो शर्त या संकेत व्यक्त करे। यदि तुम मेहनत करोगे, तो सफल हो जाओगे। / जो परिश्रम करता है, वही फल पाता है।


4. वाक्य के अंग


अंग       अर्थ          उदाहरण


कर्ता कार्य करने वाला राम

कर्म जिस पर कार्य होता है किताब

क्रिया कार्य को दर्शाने वाला शब्द पढ़ता है

विशेषण कर्ता या कर्म की विशेषता बताने वाला सुंदर

क्रिया-विशेषण क्रिया की विशेषता बताने वाला तेजी से


उदाहरण:


👉 राम तेजी से सुंदर किताब पढ़ता है।


कर्ता: राम

क्रिया: पढ़ता है

कर्म: किताब

विशेषण: सुंदर

क्रिया-विशेषण: तेजी से


5. वाक्य परिवर्तन (Sentence Transformation)


प्रकार मूल वाक्य   परिवर्तित वाक्य


विधानवाचक → निषेधवाचक वह स्कूल जाता है। वह स्कूल नहीं जाता।

प्रश्नवाचक → विधानवाचक क्या तुमने खाना खाया? तुमने खाना खाया।


6. वाक्य से संबंधित उपयोगी तथ्य


(i) वाक्य विच्छेद


वाक्य को उसके अंगों में विभाजित करना।


उदाहरण:

* मोहन ने बाजार से फल खरीदा।


कर्ता: मोहन

क्रिया: खरीदा

कर्म: फल

क्रिया-विशेषण: बाजार से


(ii) वाक्य शुद्धिकरण


गलत वाक्यों को सही करना।


उदाहरण:


गलत: वह किताब पढ़ता है बाजार में।

सही: वह बाजार में किताब पढ़ता है।


7. वाक्य के प्रकारों का महत्व


1. रचना के आधार पर भेद – वाक्य की संरचना समझने में सहायक।


2. अर्थ के आधार पर भेद – विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में उपयोगी।


8. निष्कर्ष


* वाक्य हिन्दी व्याकरण का आधार है।

* यह भाषा को सार्थक, सुंदर और व्यवस्थित बनाता है।

* रचना और अर्थ के आधार पर इसके भेद भाषा की विविधता और अभिव्यक्ति की शक्ति को दर्शाते हैं।

इनके उदाहरणों से हिन्दी भाषा की गहराई और समृद्धि स्पष्ट होती है।

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