राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक-
वायु समस्त जीवो का जीवन आधार है परंतु जब मानवीय गतिविधियों के कारण वायु में हानिकारक गैसे,धूल ,सूक्ष्म कण मिल जाते हैं तो यह वायु प्रदूषित हो जाती है। विभिन्न शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक जारी किया जाता है।यह स्वच्छ भारत मिशन की एक पहल है जिसे "एक नंबर-एक रंग- एक वर्णन"के नाम से भी जाना जाता है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक में शामिल प्रदूषक -
इस सूचकांक में 8 वायु प्रदूषको को शामिल किया गया है जो कि निम्नलिखित हैं-
1.PM 2.5
2.PM 10
3.अमोनिया(NH3)
4.ओज़ोन(O3)
5.सल्फर डाईऑक्साइड(SO2)
6.शीशा(Pb)
7.नाइट्रोजन डाईऑक्साइड(NO2)
8.कार्बन मोनोऑक्साइड(CO)
इस वायु गुणवत्ता सूचकांक के अंतर्गत 6 वर्ग आते हैं जिन्हें वायु प्रदूषण के बढ़ते क्रम में समायोजित किया गया है जो इस प्रकार हैं-
प्रथम वर्ग-
वायु गुणवत्ता(0-50) - अच्छा
रंग- गाढ़ा हरा
स्वास्थ्य प्रभाव- न्यूनतम प्रभाव
द्वितीय वर्ग-
वायु गुणवत्ता (51-100) - संतोषजनक
रंग- हल्का हरा
स्वास्थ्य प्रभाव- संवेदनशील लोगों को सांस लेने में तकलीफ
तृतीय वर्ग-
वायु गुणवत्ता (101-200 )-कम प्रदूषित
रंग-पीला
स्वास्थ्य प्रभाव- फेफड़ों,अस्थमा और हृदय रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को सांस लेने में परेशानी
चतुर्थ वर्ग-
वायु गुणवत्ता (201-300)- खराब
रंग-नारंगी
स्वास्थ्य प्रभाव-लंबे समय तक जोखिम पर अधिकतर लोगों को सांस लेने में परेशानी
पांचवा वर्ग-
वायु गुणवत्ता (301-400)-अति खराब
रंग-लाल
स्वास्थ्य प्रभाव- लंबे समय तक रहने पर सांस की बीमारी
छठवां वर्ग-
वायु गुणवत्ता(401-500)- गंभीर
रंग-गाढ़ा लाल
स्वास्थ्य प्रभाव-स्वस्थ लोगों को प्रभावित करता है और मौजूदा बीमारियों वाले लोगों को गंभीरता से प्रभावित करता है।
रंगों के माध्यम से वायु प्रदूषण के स्तर को प्रदर्शित करने से यह आम लोगों के लिए समझने में काफी सरल है जिससे जन समुदाय को आसानी से वायु प्रदूषण के खतरे के प्रति आगाह किया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment