राज्य शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम इटली के महान राजनीतिक विचारक मैकियावेली ने अपनी पुस्तक 'दि प्रिंस' में किया था।
राज्य एक आधुनिक संकल्पना है इसका आधार राजनीतिक होता है वास्तव में राज्य वह संगठित इकाई है जिस पर किसी शासन सत्ता की प्रभुता होती है।
किसी राज्य में निम्नलिखित चार तत्व पाए जाते हैं-
1. जनसंख्या
2. एक निश्चित भू क्षेत्र
3.सरकार
4.संप्रभुता या प्रभुसत्ता
इन तत्त्वों का विवरण इस प्रकार है-
1.जनसंख्या- एक राज्य में पर्याप्त जनसंख्या का होना आवश्यक है ताकि उसकी शासन व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके क्योंकि राज्य में जनता, सेना ,पुलिस, कर्मचारी, अधिकारी आदि की आवश्यकता होती है परंतु एक निश्चित जनसंख्या किसी भी राज्य का आधार नहीं होती है इसीलिए अधिक आबादी वाले देश भी राज्य की श्रेणी में आते हैं जैसे अमेरिका चीन ,भारत आदि तथा कम आबादी वाले देश भी राज्य कहे जाते हैं जैसे मालद्वीप,मोनाको आदि।
2.एक निश्चित भू क्षेत्र- भूगोल किसी राज्य का एक महत्वपूर्ण तत्व है, एक राज्य का निर्माण का तभी संभव हैैैैैैै जब उसकी सीमा निश्चित हो। एक निश्चित भू क्षेत्र का आशय केवल उसके भूभाग से ही नहीं है अपितु समीपवर्ती समुद्र ,उसके ऊपर का आकाश,नदी व तालाब आदि सभी उसमें शामिल है।
3.सरकार- वास्तव में राज्य एक अमूर्त संस्था है राज्य की इच्छाओं ,आकांक्षाओंं और कार्यों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्त करने के लिए मूूर्तरूपी सरकार की आवश्यकता होती है। सरकार का स्वरूप बदल जाने से राज्य का स्वरूप भी बदल जाता है जैसे हिटलर और मुसोलिनी केेे शासन में जर्मनी और इटली फासीवादी राज्य थे परंतु आज यह लोकतांत्रिक राज्य हैं।
4.संप्रभुता या प्रभुसत्ता- संप्रभुता राज्य का वह अनिवार्य तत्व है जिसके कारण वह राज्य अपनी गृह नीति तथा विदेश नीति का निर्धारण स्वयं करता है तथा किसी विदेशी सत्ता के अधीन नहीं होता। स्वतंत्रता के पूर्व भारत राज्य नहीं था क्योंकि भारत की आंतरिक और बाह्य नीतियों का निर्धारण अंग्रेज करते थे जब भारत स्वतंत्र हुआ और 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हुआ तब भारत एक संप्रभु राज्य बन गया।वास्तव में संप्रभुता किसी राज्य का प्राणतत्व होता है।
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