विलियम पिट ने इस एक्ट को ब्रिटिश संसद में पेश किया था इस एक्ट के द्वारा कंपनी के भारतीय मामले में सर्वप्रथम हस्तक्षेप हुआ कंपनी के व्यापारिक व राजनीतिक कार्यों को अलग कर दिया गया,व्यापारिक कार्य को कंपनी के हाथों में रहने दिया गया तथा राजनीतिक कार्यों को पर नियंत्रण व निरीक्षण स्थापित करने के लिए 'बोर्ड आफ कंट्रोल' का गठन किया गया।
यदि सैन्य अधिकारियों या नागरिकों को भ्रष्टाचार का दोषी पाया जाता है तो उनके लिए जेल,बर्खास्त करना तथा संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान था।
इस एक्ट में पहली बार कंपनी के अधीन क्षेत्र को 'ब्रिटिश आधिपत्य का क्षेत्र' कहा गया।
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