संघ एवं राज्य क्षेत्र(अनु० 1 से अनु० 4 तक)-
भारतीय संविधान के भाग 1 में अनुच्छेद 1 से लेकर 4 तक में संघ और उसके राज्य क्षेत्रों का व्यापक विश्लेषण और विवेचन किया गया है-
अनुच्छेद-1 इंडिया जो कि भारत है, "राज्यों का संघ" होगा। उपर्युक्त अनुच्छेद से निम्नलिखित तीन निष्कर्ष निकलते हैं- 1.भारतीय संघ अमेरिका की तरह राज्यों के आपसी समझौते का परिणाम नहीं है
2. राज्यों को भारतीय संघ से अलग होने का अधिकार भी प्राप्त नहीं है।
3. के सभी राज्यों पर एक समान कानून लागू होता है।
ध्यान देने योग्य है कि भारत की प्रकृति का उल्लेख या भारत की परिभाषा इसी अनुच्छेद में मिलती है।
अनुच्छेद-2 भारतीय संघ में नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना करने का प्रावधान है।
अनुच्छेद-3 इसमें नए राज्यों के निर्माण व वर्तमान राज्यों के नामों, सीमाओं व क्षेत्रों में परिवर्तन संबंधी प्रावधानों को रखा गया है।
संघीय व्यवस्था वाले देशों जैसे अमेरिका में राज्यों की सहमति के बिना संघ नए राज्य का निर्माण नहीं कर सकता है लेकिन इसके विपरीत भारत में नए राज्यों के निर्माण कार्य का संसद को प्राप्त है और राज्य की सहमति आवश्यक नहीं है।
नए राज्यों के निर्माण व वर्तमान राज्यों के नाम,सीमाओं व क्षेत्रों में परिवर्तन संबंधी विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है।राष्ट्रपति विधेयक पर अनुमति देने के पूर्व से संबंधित राज्य के विधान मंडल के पास भेजते हैं और यह निर्दिष्ट करते हैं कि एक निश्चित अवधि के अंदर (राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित) चाहे आप सहमत हो या असहमत हो, इसे लौटा दें।
जब विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग तत्कालीन सदस्यों के साधारण बहुमत से पारित हो जाता है तो पुनः राष्ट्रपति के पास जाता है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधेयक विधि बन जाता है और नया राज्य अस्तित्व में आ जाता है।
अनुच्छेद 4 उपर्युक्त अनुच्छेद के अंतर्गत अपनाई जाने वाली प्रक्रिया संविधान संशोधन की प्रक्रिया नहीं मानी जाएगी।
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