• 18.6.20

    भारतीय संघवाद एवं उसके लक्षण

    भारतीय संघवाद एवं उसके लक्षण-
    सत्ता के बंटवारे के आधार पर संघात्मक एवं एकात्मक व्यवस्था में अंतर किया जाता है यदि संविधान के द्वारा संपूर्ण सत्ता एक स्थान पर केंद्रित होती है तो उसे एकात्मक व्यवस्था कहते हैं। परंतु यदि संविधान के माध्यम से सत्ता का एक से अधिक स्थानों पर बंटवारा कर दिया जाए तो उसे संघात्मक व्यवस्था कहते हैं अतः स्पष्ट है कि संघीय व्यवस्था सत्ता के विकेंद्रीकरण पर आधारित है संघीय व्यवस्था का जन्म अमेरिका में हुआ।
    संघ का शाब्दिक अर्थ होता है आपसी मेलजोल यदि मेलजोल किसी समझौते के माध्यम से हुआ है तो उसके लिए 'फेडरेशन(Federation)' शब्द का प्रयोग करते हैं और यदि यह मेलजोल बिना किसी समझौते अर्थात एकीकरण के द्वारा हुआ है तो इसके लिए 'यूनियन(Union)' शब्द का प्रयोग करते हैं जहां अमेरिकी संघ के लिए 'फेडरेशन' शब्द का प्रयोग होता है भारतीय संघ के लिए 'यूनियन' शब्द का प्रयोग होता है।
    संघवाद के प्रमुख लक्षण-
    1.एक लिखित एवं कठोर संविधान 
    2.संविधान की सर्वोच्चता 
    3.संघ एवं राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण या दोहरी सरकार का अस्तित्व 
    4.एक स्वतंत्र एवं सर्वोच्च न्यायपालिका
    उपर्युक्त चार लक्षण संघवाद के मुख्य सिद्धांत है जहां पर यह सिद्धांत पाए जाते हैं वह राज्य सैद्धांतिक रूप से संघात्मक होता है इन लक्षणों के अतिरिक्त कुछ और लक्षण होते हैं जैसे- दोहरा संविधान ,दोहरी न्यायपालिका ,दोहरी चुनाव मशीनरी,दोहरी नागरिकता, राज्यों की सहमति के बिना संघ द्वारा नए राज्य का निर्माण न कर पाना आदि।
    भारतीय संघवाद में उपर्युक्त चार मुख्य लक्षण मौजूद है अतः भारत सैद्धांतिक रूप से संघात्मक है लेकिन भारत में एकहरा संविधान ,एकल चुनाव मशीनरी ,इकहरी नागरिकता तथा राज्यों की सहमति के बिना संघ द्वारा नए राज्यों का निर्माण कर पाना आदि लक्षण मौजूद है इसलिए कुछ आलोचकों ने भारत को संघात्मक की अपेक्षा एकात्मक कहा,के०सी०ह्वीयर ने भारतीय संघवाद को 'अर्ध संघात्मक' कहा।
    डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान निर्मात्री सभा में भारतीय संघवाद को स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी भी देश की व्यवस्था उस देश की परिस्थितियों के अनुसार होती है भारत में विभिन्न जाति,धर्म और भाषा के लोग विद्यमान है आज भारत के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती उसकी एकता व अखंडता की रक्षा है चूंकि भारतीय संघवाद में संघवाद के चारों मुख्य लक्षण पाए जाते हैं अतः भारत सैद्धांतिक रूप से संघात्मक है लेकिन भारत उस अर्थ में संघात्मक नहीं है जैसा कि अमेरिका, क्योंकि भारतीय संघ राज्यों के आपसी समझौते का परिणाम नहीं है अतः भारत केंद्र की ओर झुका हुआ संघात्मक शासन प्रणाली वाला देश है।

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