• 18.6.20

    लोकसभा की संरचना एवं विशेषताएं

    लोकसभा की संरचना एवं विशेषताएं-
    लोकसभा संसद का निम्न सदन होता है इसे लोकप्रिय सदन भी कहा जाता है क्योंकि इसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होकर आते हैं। प्रथम लोकसभा का गठन 6 मई 1952 ई० को हुआ था तथा इसके प्रथम अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर थे।
    प्रमुख विशेषताएं-
    1. लोकसभा में अधिकतम सदस्यों की संख्या 552 हो सकती है जिसमें से-
     # 530 सदस्य राज्यों की जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुनकर आते हैं।
     # 20 सदस्य संघ शासित प्रदेशों की जनता द्वारा प्रत्यक्ष रुप से चुनकर आते हैं।
     # अनुच्छेद 331 के अनुसार यदि राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाए कि लोकसभा में एंग्लो इंडियन सदस्यों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह 2 सदस्यों को मनोनीत कर सकता है।
      वर्तमान में लोकसभा में कुल 545 सदस्य हैं।
    2. सदस्यों के लिए योग्यताएं-
     ० वह भारत का नागरिक हो।
     ० उसकी आयु कम से कम 25 वर्ष हो।
     ० वह पागल दिवालिया न हो।
     ० किसी भ्रष्टाचार के आरोप में सरकारी नौकरी नौकरी से नहीं निकाला गया हो।
     ० उसे किसी आपराधिक मामले में 2 वर्ष से अधिक सजा न मिली हो और इसे मिले 5 वर्ष बीत चुके हों।
     ० संसद द्वारा निर्धारित अन्य योग्यताएं रखता हो।
    3. लोकसभा के सदस्यों का चुनाव व्यस्क मताधिकार के आधार पर होता है 61 वें संविधान संशोधन अधिनियम,1989 द्वारा यह प्रावधान कर दिया गया है कि ऐसे व्यक्ति जिनकी आयु कम से कम 18 वर्ष है मत दे सकते हैं।
    4. लोकसभा का कार्यकाल उसके गठन के बाद प्रथम बैठक से लेकर 5 वर्ष तक के लिए होता है।
    5. लोकसभा के सदस्यों को राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त कोई वरिष्ठ सदस्य पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है इसे प्रोटेम स्पीकर कहा जाता है।
    6. लोकसभा अपने ही सदस्यों में से साधारण बहुमत से एक अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव करती है। अध्यक्ष प्रायः सत्तापक्ष से तथा उपाध्यक्ष विपक्ष का होता है।
    7. लोकसभा के सदस्य अपना त्यागपत्र लोकसभा अध्यक्ष को देते हैं सांसदों की योग्यता का निर्धारण राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग के परामर्श से करता है।
    8. सांसदों का वेतन एवं भत्ता भारत की संचित निधि पर भारित होता है।
    9. सांसदों को प्रतिवर्ष अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए 5 करोड़ रुपए मिलता है।
    10. लोकसभा का विघटन राष्ट्रपति करता है तथा लोकसभा का स्थगन लोकसभा अध्यक्ष करता है।
    11. लोकसभा के विघटन से उसके समक्ष लंबित सभी संकल्प, प्रस्ताव व विधेयक व्यपगत(लैप्स) हो जाते हैं केवल एक ही स्थिति में विधेयक बचता है जब कोई विधेयक राज्यसभा के समक्ष लंबित हो और लोकसभा ने उसे पारित न किया हो।
    नोट- यदि कोई व्यक्ति एक साथ संसद के दोनों सदनों का सदस्य चुना जाता है तो यदि वह 10 दिन के अंदर संसद के किस सदन का सदस्य रहेगा इसकी सूचना नहीं देता है तो वह जिस सदन का सदस्य बाद में चुना गया है केवल उसकी वही सदस्यता रह जाती है।
    विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए उसे कुल लोक सभा की सीटों का 1/10 सीट पाना आवश्यक है।

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