• 2.7.20

    नंद वंश(344 ई०पू० - 321 ई० पू०)

    नंद वंश(344 ई०पू० - 321 ई० पू०) -
    महापदमनंद-
    1. नंद वंश का संस्थापक एवं एक शक्तिशाली राजा था।
    2. इसे "सर्वक्षत्रान्तक" एवं "उग्रसेना"(विशाल सेना के कारण) जैसी उपाधियों से विभूषित किया गया था।
    3. यह भारत का प्रथम राजा था जिसने "एकराट" की उपाधि धारण की थी।
    4. खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख से पता चलता है कि महापदमनंद ने कलिंग पर विजय प्राप्त की थी तथा कलिंग से जिनसेन(जैन) की मूर्ति को मगध लाया था।
    5. हाथीगुंफा अभिलेख से ही इस बात की भी जानकारी मिलती है कि नंदराजा ने कलिंग में एक नहर का भी निर्माण करवाया था।
    6. महापद्मनंद को 'केंद्रीय शासन पद्धति के जन्मदाता' के रूप में भी जाना जाता है
    नोट:- जैन ग्रंथों(परिशिष्ट पर्व)के अनुसार महापदमनंद निम्न कुल से संबंधित था तथा नाई जाति का था।परंतु पुराणों में महापदम नंद को भार्गव अर्थात परशुराम का अवतार बताया गया है।

    घनानंद-
    1. यह नंद वंश का अंतिम शासक था।
    2. इसे इतिहास में एक क्रूर शासक के रूप में जाना जाता है तथा इसकी शासन व्यवस्था काफी कठोर थी।
    3. घनानंद के दरबार में चाणक्य रहते थे एकबार धनानंद ने उन्हें काफी अपमानित किया जिससे वह दरबार छोड़ कर चले गए और चंद्रगुप्त मौर्य के साथ मिलकर घनानंद के साम्राज्य का अंत किया।
    4. घनानंद के समय में ही भारत की उत्तरी पश्चिमी सीमा पर सिकंदर का आक्रमण(326 ई०पू०)होता है।

    नोट:- नंद शासक जैन धर्म के अनुयायी थे।घनानंद के जैन अमात्य शाकटाल तथा स्थूलभद्र थे।

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