पृथ्वी की गतियां-
पृथ्वी सौरमंडल का एक गतिशील पिण्ड है तथा इसकी दो गतियाँ होती हैं:- प्रथम-परिभ्रमण गति और दूसरी -परिक्रमण गति। ये दोनों गतियां साथ-साथ होती हैं।
परिभ्रमण गति(Rotation)- इसे दैनिक गति भी कहते हैं। पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर चक्कर लगाती है जिसे परिभ्रमण गति कहते हैं, इसके कारण दिन रात होते हैं।
पृथ्वी अपना एक घूर्णन पूरा करने में 23 घण्टे 56 मिनट और 40.91 सेकेंड का समय लेती है।इसे नक्षत्र दिवस कहा जाता है।भूमध्य रेखा पर घूर्णन गति सर्वाधिक (1667 किमी/घण्टा ) होती है जो कि ध्रुवों की ओर जाने पर कम होती जाती है।
घूर्णन गति के कारण सागरों में ज्वार -भाटा आते हैं एवं पवन और सागरीय धाराओं की दिशा में परिवर्तन होता है।
परिक्रमण गति(Revolution)- पृथ्वी सूर्य के चारो ओर दीर्घवृत्ताकार पथ पर चक्कर लगाती है जिसे पृथ्वी की परिक्रमण गति कहते हैं।इसके कारण ऋतुओं में परिवर्तन होता है तथा दिन व रात की लम्बाई में अन्तर आ जाता है।
सूर्य के चारो ओर परिक्रमा करते हुए पृथ्वी का अक्ष इसके कक्षीय समतल से 66 .5 डिग्री झुका होता है और पृथ्वी इस तल पर लंबवत रेखा से 23.5 डिग्री झुकी होती है।इस झुकाव की वजह से सूर्य की किरणे पृथ्वी पर पूरे वर्ष एकसमान नही पड़ती है जिससे मौसम में परिवर्तन होता रहता है।इस प्रकार एक वर्ष में बसन्त,ग्रीष्म,शरद और शीत ऋतुएं पायी जाती हैं।
पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में लगभग 365 दिन और 6 घंटे का समय लेती है।
अयनांत/संक्रांति-
अयनांत/संक्रांति वे तिथियां होती हैं जिनमें दिन तथा रात की लम्बाई में सर्वाधिक अंतर होता है।
उत्तरी अयनांत- 21 जून को सूर्य की किरणे कर्क रेखा पर लंबवत चमकती हैं जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लम्बा दिन होता है और अधिक सूर्यातप की प्राप्ति होने से गर्मी का मौसम होता है।जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में इस समय दिन छोटे तथा सर्दी का मौसम होता है।
दक्षिणी अयनांत- 22 दिसंबर को सूर्य की किरणे मकर रेखा पर लंबवत होती है जिससे दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन लंबे एवं रातें छोटी होती हैं और इस समय अधिक सूर्यातप की वजह से यहाँ गर्मी का मौसम होता है।
विषुव- जब सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत चमकता है तो उसे विषुव कहते हैं। इस समय सम्पूर्ण पृथ्वी पर दिन एवं रात की लम्बाई बराबर होती है।
21 मार्च- बसन्त विषुव
23 सितंबर- शरद विषुव
उपसौर (Perihelion) तथा अपसौर(Aphelion)-
पृथ्वी सूर्य के चारो ओर दीर्घवृत्ताकार पथ पर गति करती है जिससे पृथ्वी हमेशा सूर्य से एकसमान दूरी पर नही होती है।जब सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी न्यूनतम होती है तब इसे उपसौर (3 जनवरी)कहते हैं और जब दोनों के बीच दूरी अधिकतम होती है तब इसे अपसौर( 4 जुलाई) कहते हैं।
एपसाइड रेखा-
उपसौर और अपसौर को मिलाने वाली रेखा सूर्य के केंद्र से होकर गुजरती है जिसे एपसाइड रेखा कहा जाता है।
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