लोरेन्स कोह्लबर्ग एक महान अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे। जीन पियाजे के नैतिक विकास के सिद्धान्त से प्रभावित होकर इन्होंने अपने सिद्धान्त दिये हैं। कोह्लबर्ग ने व्यक्ति के अन्दर नैतिकता, मूल्य, अच्छाई-बुराई के प्रति सोच कैसे विकसित होती है, इसी सामाजीकरण पर विचार दिया है।
कोह्लबर्ग का सिद्धान्त नैतिक तर्कणा या नैतिक व्यवहार की भी व्याख्या करता है। कोह्लबर्ग ने दस से सोलह वर्ष तक के बालकों से लिये साक्षात्कार से प्राप्त तथ्यों का विश्लेषण करके पियाजे के सिद्धान्त को विस्तारित, परिवर्तित तथा परिष्कृत (परिमार्जित) किया है। कोह्लबर्ग ने नैतिक विकास के सिद्धान्त को तीन प्रमुख स्तर तथा सात सोपान में विभाजित किया है-
प्राकरूढ़िगत स्तर या पूर्व परम्परागत स्तर
1 आत्मकेन्द्रित निर्णय।
2 दण्ड एवं अज्ञाकारिता उन्मुखता।
3 साधनात्मक सापेक्षवादी उन्मुखता
रूढ़िगत नैतिकता स्तर या परम्परागत स्तर
1 परस्पर एक रूप उन्मुखता।
2 अधिकार-संरक्षण उन्मुखता।
उत्तररूढ़िगत स्तर या उत्तर परम्परागत स्तर
1 सामाजिक अनुबंध विधि-सम्मत उन्मुखता।
2 सर्वाधिक नीतिपरक सिद्धान्त उन्मुखता।