दोस्तों आज का हमारा टॉपिक है Thorndike’s Law of Learning, जिसमे हम महान मनो विज्ञान के वैज्ञानिक थार्नडाइक के सीखने के नियम के बारे में चर्चा करेंगे, थार्नडाइक के सीखने के तीन मुख्य नियम एवं पाँच गौण नियम हैं-
1- Thorndike का तत्परता का नियम-
तत्परता में कार्य करने की केन्द्रीय शक्ति निहित रहती है तथा तत्परता में सक्रियता भी बढ़ जाती है। अतः तत्परता के नियम को तैयारी का नियम भी कहते हैं। इस नियम का तात्पर्य है कि जब प्राणी किसी कार्य को करने के लिये तैयार होता है तो वह प्रक्रिया- यदि वह कार्य करता है तो उसे आनन्द देती है तथा कार्य नहीं करता है तो तनाव भी उत्पन्न करती है। जब वह सीखने को तैयार नहीं होता और उसे अधिगम हेतु बाध्य किया जाता है तो वह झुंनझुलाहट अनुभव करता है। रूचिकर कार्य करने में प्राणी को आनन्द की अनुभूति होती है और अरूचिकर कार्य सीखने में वह असन्तोष का अनुभव करता है।
2- Thorndike का अभ्यास का नियम-
यह नियम इस तत्त्व पर आधारित है कि अभ्यास से व्यक्ति में पूर्णता आ जाती है। अभ्यास का नियम यह बताता है कि अभ्यास करने से उद्दीपक तथा अनुक्रिया का सम्बन्ध मजबूत होता है। उपयोग तथा अभ्यास रोक देने से सम्बन्घ कमजोर पड़ जाता है। अतः स्पष्ट है कि जब हम किसी पाठ या विषय को बार-बार दोहराते है तो उसे सीख जाते हैं। थार्नडाइक ने इसे उपयोग का नियम कहा है।
3- Thorndike का प्रभाव का नियम-
थार्नडाइक के सिद्धान्त का यह सबसे महत्त्वपूर्ण नियम है। इस नियम को सन्तोष और असन्तोष का नियम भी कहते हैं। थार्नडाइक के अनुसार जिन कार्यों को करने से व्यक्ति को सन्तोष मिलता है उसे वह बार-बार करता है। जिन कार्यों से असन्तोष मिलता है उन्हें वह नहीं करना चाहता है। सन्तोषप्रद परिणाम व्यक्ति के लिये शान्तिवर्द्धक होते हैं और कष्टदायक और असन्तोषप्रद परिणाम का स्थिति प्रतिक्रिया के बन्धन को निर्बल बना देते हैं तथा व्यक्ति अपनी शक्ति को क्षींण होता हुआ महसूस करता है।