• 👇Click Here to change language of Test

    27.1.22

    भारत शासन अधिनियम 1919

    भारत शासन अधिनियम 1919-
    इसे मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार भी कहा जाता है। इसकी प्रस्तावना की घोषणा मांटेग्यू- चेम्सफोर्ड ने 20 अगस्त 1917 को की इसलिए इसे अगस्त घोषणा पत्र के नाम से भी जाना जाता है स्थानीय स्वशासन की दिशा में क्रमिक विकास करने हेतु या भारत में उत्तरदायी सरकार की स्थापना हेतु ब्रिटिश संसद ने इस अधिनियम को पारित किया।
    इसकी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित है-
    1. केंद्रीय विधानमंडल को द्विसदनात्ममक बनाया गया जिसमेंं निम्न सदन को 'केंद्रीय विधानसभा' कहा गया, इसका कार्यकाल 3 वर्ष था तथा इसमें 145 सदस्य थे जिसमें 104 निर्वाचित तथा 41 मनोनीत सदस्य थे। उच्च सदन को 'राज्य परिषद' कहा गया इसका कार्यकाल 5 वर्ष था तथा इसमें कुल 60 सदस्य थे  जिसमें से 34 निर्वाचित व 26 मनोनीत सदस्य थे।
    2. प्रांतीय विधान मंडल के सदस्य प्रांतों की जनता के द्वारा सीधे चुनकर आने लगे अतः प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत हुई।
    3. प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली लागू की गई तथा प्रांतीय सूची के विषयोंं को दो भागों में बांटा गया एक आरक्षित भाग- इसमें अधिक महत्वपूर्ण विषय रखे गए जिन पर कानून बनाने का अधिकार गवर्नर और उसकी कार्यकारिणी के सदस्यों को था जैसे वित्त, पुलिस आदि दूसरा हस्तांतरित भाग- इसमें ऐसे विषय रखे गए जो कम महत्वपूर्ण थे और जिस पर कानून बनाने का अधिकार भारतीय मंत्रियों को था लेकिन यह मंत्री अपने बनाए हुए कानूनों को गवर्नर के हस्ताक्षर के बिना लागू नहीं कर सकते थे गवर्नर चाहता तो इसे वीटो भी कर देता था इस भाग में शिक्षा ,सड़क, सफाई, स्थानीय स्वशासन जैसे विषय रखे गए।
    नोट:- द्वैध शासन प्रणाली के जनक लिओनेल कर्टिस थे। द्वैध शासन प्रणाली की समीक्षा के लिए 'मूडीमैन कमेटी' का गठन किया गया था।
    4. सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व का विस्तार कर सिखों के लिए भी पृथक निर्वाचन प्रणाली बनायी गई।
    5. भारत के लिए एक हाई कमिश्ननर या उच्चायुक्त की नियुक्ति की गई, प्रथम हाई कमिश्नर विलियम म्योर थे।
    6. इस एक्ट द्वारा भारत में सर्वप्रथम एक लोक सेवा आयोग, महालेखाकार और लोक लेखा समिति के गठन का भी प्रावधान था।

    No comments:

    Post a Comment

    शिक्षक भर्ती नोट्स

    General Knowledge

    General Studies