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    28.6.20

    क्षुद्रग्रह(Asteroids)

    क्षुद्रग्रह(Asteroids)-
    एस्टेरॉयड वह छोटे खगोलीय पिंड है जो मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के मध्य पाए जाते हैं तथा यह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। वेस्टा,पैलस और हाइजिआ आदि प्रमुख एस्टेरॉयड हैं।
    विशेषताएं-
    1. अधिकतर एस्टेरॉयड मंगल एवं बृहस्पति ग्रहों की कक्षाओं के बीच पाए जाते हैं इसे एस्टेरॉयड बेल्ट कहा जाता है।
    2. कुछ एस्टेरॉयड ग्रहों के आर्बिट पथ पर भी पाए जाते हैं जिन्हें ट्रोजन एस्टेरॉयड कहते हैं उदाहरण के लिए 2010TK7 नामक एस्टेरॉयड पृथ्वी के ऑर्बिट पथ पर पाया जाता है।
    3. जब कभी यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराते हैं तो वहां पर एक गर्त का निर्माण होता है उदाहरण के लिए ऐसा माना जाता है कि महाराष्ट्र की लोनार झील का निर्माण क्षुद्रग्रह के टकराने पर ही हुआ है।
    4. एस्टेरॉयड बेल्ट सूर्य से 240 से 800 मिलियन किलोमीटर दूर स्थित है। इस एस्टेरॉइड बेल्ट में कुछ रिक्त ज़ोन होते हैं जिन्हें किर्कवुड गैप कहा जाता है।
    5. एस्टेरॉयड का निर्माण उसी समय हुआ जब ग्रहों का निर्माण हो रहा था तथा यह उन्हीं के छूटे हुए भाग हैं।
    6. एस्टेरॉयड अनियमित आकार के होते हैं तथा अपने स्थान पर घूमते रहते हैं और तीव्र गति से सूर्य की परिक्रमा करते हैं। कुछ का आकार गोलाकार भी होता है।
    7.लगभग 150 से अधिक एस्टेरॉयड ऐसे हैं कि उनका अपना चंद्रमा है।
    8. संगठन के आधार पर एस्टेरॉयड C,S तथा M प्रकार के होते हैं। C(Chondrite) प्रकार के एस्टेरॉयड क्ले तथा सिलिकेट के बने होते हैं और गहरे रंग के दिखाई देते हैं। S(stony) प्रकार के एस्टेरॉयड सिलिकेट तथा निकिल-आयरन के बने होते हैं तथा M(Mattelic)प्रकार के एस्टेरॉयड निकिल-आयरन के बने होते हैं।

    Lagrangian Point- किसी ग्रह के ऑर्बिट पथ पर ऐसा बिंदु होता है जहां एस्टेरॉइड एवं ग्रह के बीच तथा एस्टेरॉइड एवं सूर्य के बीच इस प्रकार गुरुत्वाकर्षण बल का संतुलन होता है कि वह(एस्टेरॉयड) उसी बिंदु पर रहते हुए सूर्य की परिक्रमा करता रहता है तथा ग्रह से टकराता नहीं है।

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