सामवेद की महत्वपूर्ण विशेषताएं-
साम का शाब्दिक अर्थ गायन अथवा लय होता है। इस प्रकार सामवेद भारतीय संगीत का जनक माना जाता है सामवेद की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-
1.इस वेद में यज्ञ,हवन या अनुष्ठान के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्रों का संग्रह किया गया है जिसमें सूर्य की स्तुतियां की गई है। इन मंत्रों का विशेषज्ञ पुरोहित 'उदगाता'कहा जाता है।
3. सामवेद के अधिकांश मंत्र या श्लोक ऋग्वेद से लिए गए हैं। वास्तव में सामवेद ऋग्वेद पर ही आधारित है। सामवेद में कुल मंत्रों की संख्या 1810 है जिसमें से 1474 मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं। सामवेद में नए मंत्रों की संख्या केवल 75 है।
4. सामवेद के प्रथम दृष्टा जैमिनीय को माना जाता है जो कि वेदव्यास के शिष्य थे।
5. पुराणों में दिए गए विवरण के अनुसार सामवेद की एक सहस्त्र शाखाएं हैं। परन्तु सामवेद की कौथुमीय,जैमिनीय एवं राणायनीय तीन प्रमुख शाखाएं हैं।
6. सामवेद का महत्व इसलिए भी है क्योंकि श्री कृष्ण ने गीता में "वेदानां सामवेदोऽस्मि(वेदों में मैं सामवेद हूं)" कहा है।
7. यह चारों वेदों में सबसे छोटा वेद है परंतु यह सभी वेदों का सार माना जाता है।
8. सामवेद का उपवेद गंधर्ववेद है।
9. पंचविंश,षडविंश, आर्षेय, छान्दिग्य,ब्राह्मण और जैमिनीय सामवेद के ब्राह्मण ग्रंथ हैं।
नोट:- ब्राह्मण ग्रंथों में वेदों की गद्य में व्याख्या की गई है। सभी वेदों के एक या एक से अधिक ब्राह्मण ग्रंथ हैं।
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