प्रोजेक्ट एलीफेंट-
हाथियों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट एलिफेंट वर्ष 1992 में शुरू किया गया। प्रोजेक्ट एलीफेंट एक केंद्र प्रायोजित परियोजना है जो उन राज्यों को ,जहां पर हाथियों की संख्या अधिक है ,उन्हें वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाता है।
प्रमुख उद्देश्य-
1. हाथियों, उनके प्राकृतिक आवास एवं हाथी गलियारों को संरक्षण प्रदान करना।
2. मानव-हाथी संघर्ष की समस्या को नियंत्रित करना।
3. पालतू हाथियों का कल्याण करना।
महत्वपूर्ण तथ्य:-
1.वर्तमान में प्रोजेक्ट एलीफेंट 22 राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है।
2.वर्तमान में 32 एलीफेंट रिजर्व की स्थापना की गई है। इसके साथ ही प्रोजेक्ट एलीफेंट 5 एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर को भी मदद करता है जो बिहार हरियाणा तमिलनाडु कर्नाटक और केरल में स्थित है।
3. वर्तमान में सर्वाधिक हाथियों की संख्या कर्नाटक राज्य में है इसके बाद दूसरे स्थान पर असम एवं तीसरे पर केरल आता है।
4. हाथियों की गणना प्रत्येक 5वें वर्ष की जाती है अंतिम गणना 2017 में की गई थी।
5. हाथी को राष्ट्रीय विरासत पशु वर्ष 2010 में घोषित किया गया था।
6. हाथी को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में सम्मिलित किया गया है।
हाथी गलियारा:-
हाथी गलियारा, हाथियों की बड़ी संख्या वाले क्षेत्रों को जोड़ने वाला एक पतला या संकरा गलियारा होता है यह गलियारा जंगली भूमि भी हो सकता है या अन्य क्षेत्र भी। इस गलियारे से होकर हाथी आवागमन करते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:-
1. भारत में ऐसे 101 गलियारों की पहचान की गई है। जिसमें से लगभग 77% गलियारों का प्रयोग हाथी आवागमन के लिए नियमित रूप से करते हैं।
2. हाथी के प्राकृतिक आवास एवं गलियारों का सर्वाधिक विखंडन उत्तरी पश्चिम बंगाल में हुआ है जबकि दक्षिणी भारत में प्राकृतिक आवासों एवं गलियारों का विखंडन सबसे कम हुआ है और सबसे अच्छी स्थिति में है।
3. हाथी के आवासों एवं गलियारों को निम्नलिखित कारणों खतरे उत्पन्न हुए हैं-
० इन क्षेत्रों में बढ़ती विकासात्मक गतिविधियां जैसे रेलवे, सड़क, बिल्डिंग और रिसॉर्ट आदि का निर्माण।
० उड़ीसा झारखंड एवं छत्तीसगढ़ राज्य में कोयला एवं लौह अयस्क के खनन से हाथियों के प्राकृतिक आवास नष्ट हुए हैं।
० अवैध शिकार की समस्या जैसे हाथी दांत एवं अन्य अंगों के लिए हाथियों को मारना।
० विद्युत फेंसिंग।
० बड़े चारागाह भूमि की कमी जिससे हाथियों को भोजन की प्राप्ति नहीं हो पाती है और वह खेतों की ओर भोजन की तलाश में जाते हैं जिससे मानव-हाथी संघर्ष में वृद्धि होती है।
MIKE(Monitoring of illegal killing of Elephants):-
साइट्स(CITES-(The Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) द्वारा दक्षिण एशिया के देशों में माइक प्रोग्राम वर्ष 2003 से चलाया जा रहा है। जिसका प्रमुख उद्देश्य हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी करना, समय के साथ हाथियों की अवैध हत्या की प्रवृत्ति में क्या बदलाव आए हैं इसका पता लगाना तथा उनके कारणों को खोजना है। जिससे हाथियों के संरक्षण के संबंध में निर्णय अच्छी तरह से लिया जा सके। माइक प्रोग्राम के लिये 10 एलीफेंट रिजर्व का चयन किया गया है।
जिसमें निम्नलिखित एलीफेंट रिजर्व आते हैं
1. उत्तराखंड में शिवालिक
2. पश्चिम बंगाल में पूर्वी दुआर
3. उड़ीसा में मयूरभंज
4. असम में रिपु चिरांग और देहिंग पटकाई
5. मेघालय में गारो हिल्स
6. अरुणाचल प्रदेश में देवमाली
7. केरल में वायनाड
8. कर्नाटक में मैसूर
9. तमिलनाडु में नीलगिरी
हाथी मेरे साथी अभियान-
यह वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयास से प्रारंभ किया गया एक जागरूकता अभियान है।
वास्तव में इस अभियान की शुरुआत वर्ष 2011 में नई दिल्ली में 8 देशों की "एलीफेंट- 8" नाम से आयोजित मंत्रिस्तरीय बैठक मीटिंग के बाद हुई थी।
इस अभियान में हाथी एवं मनुष्य के बीच दोस्ती को बढ़ावा दिया जाता है ताकि उनके भी संघर्ष को कम किया जा सके। इस पहल का शुभंकर "गजु" है।
E-50:50 फोरम-
एलीफेंट-8 की बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि E-50:50 फोरम के अंतर्गत 50 देश मिलकर हाथियों के संरक्षण के लिए 50 वर्ष तक प्रयास करेंगे। E-50:50 फोरम की प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस वर्ष 2013 में नई दिल्ली में संपन्न हुई।
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