• 6.8.20

    गांधीवादी चरण -( रोलेट एक्ट एवं जलियांवाला बाग हत्याकांड)

       गांधीवादी चरण -( रोलेट एक्ट एवं जलियांवाला बाग हत्याकांड)

    रोलेट एक्ट(1919 ई०)
    देश में बढ़ रहे क्रांतिकारी राष्ट्रवाद से अंग्रेज सरकार आशंकित  थी तथा वह इन क्रांतिकारी आंदोलनों को दबाना चाहती थी साथ ही इस समय प्रथम विश्व युद्ध भी चल रहा था इन परिस्थितियों में अंग्रेजों द्वारा भारत रक्षा अधिनियम 1915 लाया जाता है इसके अंतर्गत वह क्रांतिकारियों पर कड़ी कार्रवाई प्रारंभ कर देते हैं।
    प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर भारतीय जनता अंग्रेजों से संवैधानिक सुधारों की उम्मीद कर रही थी परंतु अंग्रेज क्रांतिकारियों का दमन करने के लिए एक कड़े एवं स्थाई कानून की आवश्यकता पर विचार कर रहे थे। जिसके परिणामस्वरूप सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर 1919 में रौलट एक्ट लाया गया।
    विशेषताएं-
    1. रोलेट एक्ट एक प्रकार का निवारक निरोध कानून था जिसे काला कानून भी कहा जाता है।
    2. इसके अंतर्गत पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए मात्र संदेह के आधार पर गिरफ्तार(बिना मुकदमा के 2 वर्ष तक की सजा) कर सकती थी।
    3. मुकदमा विशेष न्यायालय में चलाया जाता था तथा जिसके खिलाफ अपील करने का अधिकार नहीं था।
    4. मोतीलाल नेहरू ने इस कानून को "न वकील,न अपील,न दलील" वाला कानून कहा।
    भारतीयों ने इस कानून को अपना घोर अपमान माना तथा इसके इसके विरुद्ध पूरे देश में विरोध प्रदर्शन प्रारंभ हो जाते हैं गांधी जी ने ,जो कि अब तक एक लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित हो चुके थे, इस एक्ट के खिलाफ 6 अप्रैल 1919 को अखिल भारतीय सत्याग्रह करने की घोषणा की।
    परंतु इस तिथि से पहले ही पंजाब, दिल्ली के क्षेत्र में रोलेट एक्ट के खिलाफ तीव्र विरोध प्रदर्शन प्रारंभ हो जाते हैं जो कई स्थानों पर हिंसक रूप भी धारण कर लेते हैं।
    पंजाब में स्थिति और भी ज्यादा संवेदनशील हो जाती है इसीलिए गांधी जी यहां यथा स्थिति को संभालने के लिए पंजाब जाने का प्रयास करते हैं परंतु ने हरियाणा के निकट गिरफ्तार कर मुंबई भेज दिया जाता है।

    जलियांवाला बाग हत्याकांड(13 अप्रैल 1919)
    1. जलियांवाला बाग पंजाब के अमृतसर में स्थित है।
    2. रोलेट एक्ट के विरोध में पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे इसी क्रम में पंजाब, जो समय क्रांतिकारी गतिविधियों का बड़ा केंद्र था, में भी विरोध प्रदर्शन प्रारंभ हो जाते हैं जो कुछ स्थानों पर हिंसक रूप धारण भी कर लेते हैं।
    3. इन परिस्थितियों में अंग्रेजों द्वारा पंजाब में मार्शल लॉ लगा दिया गया तथा लोकप्रिय नेता डॉक्टर सैफुद्दीन किचलू और डॉक्टर सत्यपाल को 9 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया जाता है।
    4. दोनों नेताओं की गिरफ्तारी तथा अंग्रेजों की क्रूर नीतियों का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने के लिये 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन हुआ।
    5. जनरल "डायर" ने इस सभा को सरकारी आदेश की अवहेलना मानते हुए बिना किसी पूर्व चेतावनी के निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दे दिया जिसमें लगभग 1000 से अधिक लोग मारे गए इतिहास में यह घटना "जलियांवाला बाग हत्याकांड" के नाम से जानी जाती है।
    6. इस हत्याकांड से पूरा देश स्तब्ध रह गया इस नरसंहार के विरोध में रविंद्रनाथ टैगोर ने अपनी 'नाइटहुड' की उपाधि त्याग दी तथा 'शंकर नायर' ने वायसराय की कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया।
    7. इन परिस्थितियों में गांधी जी ने 18 अप्रैल 1919 को सत्याग्रह वापस ले लिया।
    8. विश्वव्यापी निंदा एवं भारी दबाव के चलते जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए सरकार द्वारा "हंटर कमेटी" का गठन किया गया, इस कमेटी ने जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति कर  जनरल डायर को निर्दोष करार दिया। जबकि बाद में ब्रिटिश संसद द्वारा  जनरल डायर को  "ब्रिटिश साम्राज्य का शेर" कहा गया।
    9. पंजाब में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद अंग्रेजों का विरोध करने के लिए 'चमनदीप' ने "डंडा फौज" का गठन किया गया था।
    10. कांग्रेस द्वारा भी "मदन मोहन मालवीय" की अध्यक्षता में इस हत्याकांड की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया था।

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