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    18.6.20

    उपराष्ट्रपति

    उपराष्ट्रपति-
    भारत में उपराष्ट्रपति का पद अमेरिका से लिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 63 में कहा गया है कि भारत का एक राष्ट्रपति होगा जो कि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उसके दायित्व एवं कर्तव्यों का निर्वहन करेगा। इस प्रकार उपराष्ट्रपति के पद का सृजन इसलिए किया गया कि यदि किसी कारणवश राष्ट्रपति अनुपस्थित हो तो तुरंत उपराष्ट्रपति इस दायित्व का निर्वहन करने लगे। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
    राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति केवल कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में 6 महीने तक कार्य कर सकता है।उपराष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष विधि से होता है तथा इसके निर्वाचक मंडल में  संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित एवं मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। परंतु इसके निर्वाचक मंडल में राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल नहीं होते हैं जैसा कि राष्ट्रपति के निर्वाचन में होते हैं।
    योग्यताएं-
    1. वह भारत का नागरिक हो।
    2. उसकी आयु 35 वर्ष हो।
    3.उसे राज्यसभा का सदस्य बनने की अर्हता होनी चाहिए।
    4. वह किसी लाभ के पद पर न हो।
    इसके अतिरिक्त उसका नाम निर्वाचक मंडल के 20 सदस्यों द्वारा अनुमोदित तथा 20 सदस्यों द्वारा समर्थित होना चाहिए।
     उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति उसके पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है ,उपराष्ट्रपति अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को ही देता है। उपराष्ट्रपति को हटाने की पहल सर्वप्रथम राज्य सभा ही कर सकती है यदि राज्यसभा अपने तत्कालीन सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से एक संकल्प पारित कर दें और लोकसभा साधारण बहुमत से उसका समर्थन करते उपराष्ट्रपति अपने पद से हट जाता है।

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