• 18.7.20

    कांग्रेस के पूर्ववर्ती राजनीतिक संगठन

    कांग्रेस के पूर्ववर्ती राजनीतिक संगठन-
    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के पूर्व देश के विभिन्न भागों में कुछ राजनीतिक संस्थाएं क्षेत्रीय स्तर पर कार्य कर रही थी इनका नेतृत्व मध्यवर्ग एवं बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा(जिसमें शिक्षक,वकील, पत्रकार आदि सम्मिलित थे) किया जा रहा था।
    राजा राममोहन राय ने इस दिशा में प्रथम प्रयास किया और 1828 ईसवी में 'विद्याचर्चा' नामक संस्था की स्थापना की इसके बाद इनके अनुयायियों द्वारा 1836 में "बंग भाषा प्रकाशक सभा" की स्थापना की गई। 
                   -बंगाल के राजनीतिक संगठन-
    लैंडहोल्डर्स सोसायटी(1838 ई०)
    इसका गठन द्वारिका नाथ टैगोर ने किया था जिसका प्रमुख उद्देश्य जमीदारों के हितों की सुरक्षा करना था।
    यह भारत का प्रथम राजनीतिक संगठन माना जाता है जिसने संगठित राजनीतिक प्रयासों की शुरुआत की तथा अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए संवैधानिक उपायों का सहारा लिया।
    इसके भारतीय सचिव प्रसन्न कुमार ठाकुर तथा अंग्रेज सचिव विलियम काब्री थे।
    इसे जमीदार एसोसिएशन के नाम से भी जाना जाता है।

    बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसायटी(1843 ई०)
    इसके संस्थापक जॉर्ज थामसन तथा सचिव प्यारी चन्द्र मित्र थे।
    इसने कृषकों की दशा तथा आम जनता की स्थिति में सुधार लाने के प्रयास किये।
    इसके साथ ही इस सोसायटी ने जनता में राजनीतिक शिक्षा के प्रसार और राष्ट्रवाद की भावना जगाने संबंधी कार्य भी किए।

    ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन(1851 ई०)
    लैंडहोल्डर्स सोसायटी तथा बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी के आपस में विलय से ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की स्थापना हुई।
    इसके संस्थापक अध्यक्ष राजा राधाकांत देव,सचिव देवेंद्र नाथ टैगोर तथा उपाध्यक्ष राजा कालीकृष्ण देव थे।
    इनसे ब्रिटिश संसद को प्रार्थना पत्र लिखकर नमक कर,आबकारी कर ,डाक शुल्क समाप्त करने एवं उच्च अधिकारियों के वेतन में कटौती तथा जनप्रिय उदेश्यों वाली पृथक विधायिका की मांग की।
    इन सुझावों पर विचार करते हुए 1853 के अधिनियम में गवर्नर जनरल की विधायी परिषद में कानून निर्माण में सहायता हेतु 6 नए सदस्यों को मनोनीत करने का प्रावधान किया गया,जिसे एशोसिएशन की मांगों की आंशिक सफलता कहा जा सकता है।
    इसे भारतवर्षीय सभा के नाम से भी जाना जाता था।
    एसोसिएशन ने 'हिंदू पैट्रियॉट' पत्रिका के माध्यम से प्रचार किया।

    इण्डियन लीग(1875 ई०)
    इसकी स्थापना का श्रेय शिशिर कुमार घोष को जाता है।
    इसका प्रमुख उद्देश्य लोगों में राष्ट्रवाद की भावना का विकास करना एवं राजनीतिक शिक्षा पर बल देना था।

    कलकत्ता स्टूडेंट एसोसिएशन(1875 ई०)
    इसकी स्थापना आनंद मोहन बोस ने की थी।
    इसका प्रमुख उद्देश्य छात्रों के हितों की रक्षा करना एवं उनमें राष्ट्रवाद की भावना का विकास करना था।

    इंडियन नेशनल एसोसिएशन (1876 ई०)
    इंडियन लीग के स्थान पर इंडियन नेशनल एसोसिएशन की स्थापना की गई। इसके संस्थापक सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस थे।
    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व यह सबसे महत्वपूर्ण संस्था थी जिसने सिविल सेवा परीक्षा में महत्वपूर्ण सुधारों एवं उच्च प्रशासनिक पदों के भारतीयकरण की मांग की।
    इसने आर्म्स एक्ट एवं वर्नाकुलर प्रेस एक्ट के विरुद्ध प्रचार-प्रसार किया।
    इसका प्रमुख उद्देश्य तत्कालीन राजनीतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था के परिपेक्ष्य में एक सशक्त जनमत तैयार करना एवं भारतीयों में एकता की स्थापना करना था।
    एसोसिएशन की शाखाएं बंगाल से बाहर अनेक स्थानों पर खोली गई  तथा दिसम्बर 1883 में कलकत्ता में इसके पहले अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
    1886 ई० में इस एसोसिएशन का विलय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में हो गया।

                  - मद्रास की राजनीतिक संस्थाएं -
    मद्रास नेटिव एसोसिएशन(1852 ई०)
    ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की मद्रास में स्थापित शाखा को ही मद्रास नेटिव एसोसिएशन के रूप में जाना जाता है।
    इसकी स्थापना गुजलू लक्ष्मी नरसुचेट्टी ने की थी।
    इसने 1857 की क्रांति की आलोचना की थी परंतु यह अधिक प्रसिद्ध नहीं हो सकी।
               
    मद्रास महाजन सभा(1884 ई०)
    इसके संस्थापक बी.सुब्रमण्यम अय्यर,एम. वीराराघवाचारी तथा पी.आंनद चारलू थे।
    इसका उद्देश्य महाजनों एवं किसानों के मध्य संघर्ष को नियंत्रित करना एवं स्थानीय संगठन के कार्यों को समन्वित करना था।

                - बम्बई की राजनीतिक संस्थाएं -
    बाम्बे एसोसिएशन(1852 ई०) 
    इसके संस्थापक दादा भाई नौरोजी थे तथा बंगाल की ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की तर्ज पर इसकी स्थापना की गई थी।
    इसका मुख्य कार्य विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार को ज्ञापन देना था।

    पूना सार्वजनिक सभा(1867 ई०)
    इसकी स्थापना महादेव गोविंद रानाडे ने की थी।
    इस सभा ने जनता तथा सरकार के बीच एक सेतु के रूप में कार्य किया था।
    इसके मुख्य सदस्य गणेश वासुदेव जोशी,एस.एच. चिपलूणकर एवं एस.एच. साठे आदि थे।

    बाम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन(1885 ई०)
    इसके संस्थापक बदरुद्दीन तैयबजी, फिरोजशाह मेहता और के.टी.तैलंग थे।
    इसका मुख्य उद्देश्य लोगों के मध्य राजनीतिक विचारों का प्रचार प्रसार करना था।

    विदेश में स्थापित संस्थाएं-
    1. लंदन इंडियन कमेटी(1862 ई०)- इसकी स्थापना पुरुषोत्तम मुदलियार द्वारा लंदन में की गई थी।

    2. लंदन इंडिया सोसाइटी(1865 ई०)- इसकी स्थापना दादा भाई नौरोजी द्वारा लंदन में हुई।

    3. ईस्ट इंडिया एसोसिएशन(1866 ई०)- इसकी स्थापना लंदन में दादाभाई नौरोजी ने की थी जिसका प्रमुख उद्देश्य भारत की समस्याओं से ब्रिटेन को अवगत कराना तथा भारतीयों के पक्ष में ब्रिटेन में एक जनमत तैयार करना था। इस एसोसिएशन की शाखाएं भारत में भी खोली गई।

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