• 8.7.20

    क्षेत्रीय राज्य और ब्रिटिश साम्राज्यवाद -(अवध राज्य)

    क्षेत्रीय राज्य और ब्रिटिश साम्राज्यवाद -(अवध राज्य)

    अवध राज्य-
    अवध क्षेत्र आधुनिक उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में फैला हुआ था तथा यह दिल्ली एवं बंगाल के मध्य महत्वपूर्ण क्षेत्र था। उत्तर मुगल काल में अवध में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना होती है।

    सआदत खां(1722- 1739 ई०)- 
    ० मुगल बादशाह "मुहम्मद शाह रंगीला" ने सआदत खां को अवध का सूबेदार नियुक्त किया था जो अवध के स्वतंत्र राज्य की स्थापना करता है।
    ० इससे पहले सआदत खां 1720-22 ई० में आगरा का गवर्नर था।
    ० मुहम्मद शाह ने इसे बुरहान मुल्क की उपाधि प्रदान की थी।
    ० प्रारंभ में अवध की राजधानी फैजाबाद थी।
    ० मुगल बादशाह ने सआदत खां को नादिरशाह से लड़ने के लिए 1739 में दिल्ली बुलाया। परंतु बाद में वह नादिर शाह को दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए इसलिये प्रोत्साहित करता है कि दिल्ली के उसे 20 करोड़ की प्राप्ति होगी परंतु ऐसा ना होने पर सआदत खां जहर खाकर अपनी आत्महत्या कर लेता है।


    सफदरजंग(1739- 1754 ई०)-
    ० सआदत खां की मृत्यु के बाद उसका भतीजा एवं दामाद सफदरजंग अवध का नवाब बनता है।
    ० 1742 में यह पटना पर अस्थाई रूप से अधिकार कर लेता है तथा 1745  में इसने रुहेलो के खिलाफ सैन्य अभियान किया था।
    ० 1748 में मुहम्मद शाह ने सफदरजंग को अपना वजीर बनाया तथा इलाहाबाद का प्रांत इसे दे दिया।।
    ० सफदरजंग हिंदू एवं मुसलमान में कोई भेदभाव नहीं करता था इसलिए इसी के समय में लखनवी तहजीब की शुरुआत होती है।
    ० उसने अपना वजीर एक हिंदू महाराजा नवाब राय को नियुक्त किया था जो इस बात का प्रमाण था कि वह हिंदू मुस्लिम को समान समझता था।

    ० 1754 में इसकी मृत्यु हो जाती है।

    शुजाउद्दौला(1754- 1775 ई०)
    ० शुजाउद्दौला सफदरजंग का पुत्र था जो 1754 में नबाब बनता है।
    ० इसने बंगाल में निर्वासित जीवन जी रहे मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय को अवध में शरण दी थी।
    पानीपत के तृतीय युद्ध(1761) में शुजाउद्दौला ने मराठों के विरुद्ध अहमद शाह अब्दाली का साथ दिया था।
    बक्सर के युद्ध(1764) में शुजाउद्दौला ने मीर कासिम और शाह आलम द्वितीय के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया था। इसके बाद हुई इलाहाबाद की संधि(1765) में अंग्रेजों ने अवध के कड़ा और इलाहाबाद के क्षेत्रत मुगल शासक आलम द्वितीय को दे दिए थे।
    ० शुजाउद्दौला और वारेन हेस्टिंग्स के मध्य 1773 में बनारस की संधि होती है।
    ० 1774 ईस्वी में यह रूहेलखंड पर आक्रमण करता है और मीरानपुर कटरा नामक स्थान पर रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां की हत्या कर देता है, जिससे रुहेलखंड अवध के अधिकार में आ जाता है।
    ० 1775 में शुजाउद्दौला की मृत्यु हो जाती है।

    आसफउद्दौला(1775- 1797 ई०)-
    ० इसके समय ही अवध की राजधानी फैजाबाद से स्थानांतरित होकर लखनऊ हो जाती है।
    ० 1775 ईस्वी में वारेन हेस्टिंग्स और आसफउद्दौला के मध्य फैजाबाद की संधि होती है जिसके अंतर्गत बनारस में एक अंग्रेजी सेना रखी जाती है बदले में हेस्टिंग्स बेगमों की संपत्ति की सुरक्षा की गारंटी देता है परंतु 1781 में हेस्टिंग्स संधि का उल्लंघन करता है और मिडलटन को बेगमों की संपत्ति वसूलने का आदेश  देता है।
    ० इसने लखनऊ में इमामबाड़ा का निर्माण (1784) कराया था।

    सआदत अली खां(1798- 1814 ई०)
    ० किसके शासनकाल में ही 1801 में वेलेजली की सहायक संधि अवध द्वारा स्वीकार कर ली गयी।
    ० 1809 में इसे राजा की उपाधि से नवाजा गया।

    वाजिद अली शाह(1847- 1856 ई०)-
    ० यह अवध का अंतिम नवाब था।
    ० इसके समय में ही 1854 में आउट्रम की रिपोर्ट आती है जिसके अंतर्गत 1856 में लॉर्ड डलहौजी ने कुशासन का आरोप लगाकर अवध को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया था।
    ० वाजिद अली शाह संगीत प्रेमी था,गायन तथा नृत्य में इसकी विशेष रुचि थी। इसे 'ठुमरी' नामक संगीत विधा का जन्मदाता माना जाता है।
    ० शास्त्रीय नृत्य 'कथक' का इसके समय में काफी विकास हुआ।
    वाजिद अली शाह को पेंशन देकर कलकत्ता निर्वासित कर दिया गया।

    नोट:- 1815 में वारेन हेस्टिंग्स द्वारा अवध के नबाब गाजीउद्दीन हैदरअली खान(1814- 1827) को बादशाह की उपाधि दी जाती है।

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