सांप्रदायिक पंचाट और पूना समझौता

कम्युनल अवॉर्ड/सांप्रदायिक पंचाट
1. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने 16 अगस्त 1932 को सांप्रदायिक पंचाट की घोषणा की इसलिए इसे "मैकडोनाल्ड अवॉर्ड" भी कहा जाता है।
2. इसके तहत प्रांतीय विधानसभाओं की सदस्य संख्या दोगुनी कर दी गयी।
3. इसके द्वारा भारत में दलित वर्ग को हिंदुओं से अलग कर उन्हें अल्पसंख्यक माना गया।
4. मुस्लिम,ईसाइयों,सिखों,ऐंग्लो-इंडियन आदि के साथ दलितों को भी पृथक निर्वाचन मंडल का अधिकार दे दिया गया।
नोट- दलितों के लिये पृथक निर्वाचन की मांग डॉ० भीमराव अंबेडकर द्वारा साइमन कमीशन,द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के दौरान की गयी थी।
वास्तव में इस पंचाट के द्वारा अंग्रेजों ने अपनी "फूट डालो और राज करो" की नीति को ही आगे बढ़ाया तथा इससे देश में साम्प्रदायिकता को बढ़ावा मिला।
गांधी जी द्वारा दलितों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल प्रदान किए जाने का विरोध किया गया क्योंकि इसके माध्यम से अंग्रेज हिंदू समाज को आपस में बांटना चाहते थे इसलिए उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड को एक पत्र लिखकर इसे रद्द करने के लिए कहा परंतु मैकडोनाल्ड ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

पूना समझौता
1. कम्युनल अवार्ड का भीमराव अंबेडकर ने स्वागत किया परंतु गांधीजी ने इसका तीव्र विरोध करते हुए पुणे की यरवदा जेल में 20 सितंबर 1932 को आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया।
2. मदन मोहन मालवीय ,राजेंद्र प्रसाद और सी.राजगोपालाचारी के प्रयासों से अंबेडकर और गांधी जी के बीच 26 सितंबर 1932 को एक समझौता हुआ जिसे पूना पैक्ट या समझौता के नाम से जाना जाता है।
3. इस समझौते के तहत दलितों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल को समाप्त कर दिया गया।
4. इसी के तहत केंद्रीय विधान मंडल में दलितों के लिए 18% सीटें तथा प्रांतीय विधानसभाओं में 71 के स्थान पर 148 सीटों का आरक्षण प्रदान किया गया।


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